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NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 10- नेताजी का चश्मा क्षितिज भाग-2 हिंदी स्वयं प्रकाश पृष्ठ संख्या: 64 प्रश्न अभ्यास 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ? उत्तर सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हूई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था| वह नेताजी की मूर्ती को बार-बार चश्मा पहना कर देश के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा प्रकट करता था। देश के प्रति त्याग व समर्पण की भावना उसके ह्रदय में किसी भी फ़ौजी से कम नहीं थी। 2. हालदार साहब ने ड्राईवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा - (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे? (ख) मूर्ती पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है? (ग) हालदार साहब इतनी - सी बात पर भावुक क्यों हो उठे? उत्तर (क) हालदार साहब पहले इसलिए मायूस क्यों हो गए थे क्योंकि वे सोच रहे थे कस्बे के चौराहे पर सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा तो अवश्य मिलेगी, परंतु उनकी आँखों पर चश्मा लगा नहीं मिलेग
hi I am Harshit Raj and is presentiong you with answers of ekanki sanchay - sanskar and bhavna. EKANKI SANCHAY एकांकी संचय विष्णु प्रभाकर ( जन्म : 1912 - मृत्यु : 2009) विष्णु प्रभाकर हिन्दी के सुप्रसिद् ध लेखक के रूप में विख्यात हुए। उनका जन्म उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव मीरापुर में हुआ था। उनके पिता दुर्गा प्रसाद धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे और उनकी माता महादेवी पढ़ी - लिखी महिला थीं जिन्होंने अपने समय में पर्दा प्रथा का विरोध किया था। उनकी पत्नी का नाम सुशीला था। विष्णु प्रभाकर की आरंभिक शिक्षा मीरापुर में हुई। बाद में वे अपने मामा के घर हिसार चले गये जो तब पंजाब प्रांत का हिस्सा था। घर की माली हालत ठीक नहीं होने के चलते वे आगे की पढ़ाई ठीक से नहीं कर पाए और गृहस्थी चलाने के लिए उन्हें सरकारी नौकरी करनी पड़ी। चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के तौर पर काम करते समय उन्हें प्रतिमाह १८ रुपये मिलते थे , लेकिन मेधावी और लगनशील विष्
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